जाड़े में कैसा हो हमारा भोजन ‌और रहन सहन-डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी


दीपक श्रीवास्तव 
जाड़े में कैसा हो हमारा भोजन ‌और रहन सहन-डॉ दिलीप कुमार सिंह मौसम विज्ञानी 
जौनपुर ठंड का मौसम आते ही सब कुछ बदल जाता है इसके पूर्व वर्षा की ऋतु होती है जिसमें कभी सुहावना मौसम कभी उमस और पसीना तो कभी बेहद नम और कभी शुष्क मौसम का सामना एक साथ करना पड़ता है जिससे अनेक रोग बीमारियां लोगों को घेर लेते हैं।‌ वर्षा बीतने के बाद अचानक ही सब कुछ बदल जाता है और हरा-भरा मौसम सूखे मौसम में बदल जाता है और इस प्रकार क्वारऔर कार्तिक ‌‌ महीना विभिन्न प्रकार के सर्दी जुकाम खांसी शरीर दर्द बदन दर्द मच्छर और खटमल तथा मक्खी से फैलने वाले बीमारियों का होता है और इसी समय मलेरिया टाइफाइड जापानी बुखार इत्यादि का भी जोर रहता है और अगहन महीने के प्रारंभ होते ही ठंड का मौसम शुरू हो जाता है ।
आयुर्वेद दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा विज्ञान है आयुर्वेद के अनुसार ठंड का मौसम प्रारंभ होते ही सबसे पहले उठकर गुनगुना हल्का गर्म पानी अवश्य पीना चाहिए ठंडी जितनी बढ़ती जाए पानी भी उतना ही गर्म होना चाहिए यदि इस पानी में आप नींबू मिला लेते हैं या तुलसी की पत्तियां ज्वरांकुश जैसी कुछ चीज डालकर पीते हैं तो यह अमृत जैसा होता है।

अगहन से लेकर आधे चैत्र माह तक शरीर की सारी गर्मी पेट में इकट्ठे हो जाती है इसलिए भूख जमकर लगती है और इस समय आपको अच्छे पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन करना चाहिए बाहर की चीज भूलकर भी नहीं खाना चाहिए यह सभी भयंकर जहर से भी खतरनाक है क्योंकि इसमें सबसे रद्दी तेल मसाले की और अनाज तथा दालों का प्रयोग किया जाता है इस मौसम में अगर एक समय  अदरक तुलसी की पत्ती गिलोय काली मिर्च इलायची दालचीनी की चाय पिएं तो या  गर्म पानी आपके शरीर के जमा हुए सभी प्रकार के कफ को और जहर को निकाल बाहर करता है दूध की चाय भारत में पीने का प्रचलन है लेकिन यह बहुत ही हानिकारक और विषैली होती है जानकर भी लोग इसको छोड़ नहीं पाते हैं जिसका परिणाम अनेक प्रकार की हड्डी और गैस की बीमारियों में प्रकट होता है और भूख भी मर जाती है 

आयुर्वेद के अनुसार इस समय विभिन्न प्रकार के मसाले का हल्के तेल के साथ खूब सेवन करना चाहिए क्योंकि गरम मसाले एक तो शरीर को गर्म रखकर ऊर्जा देते हैं दूसरे सर्दी शरीर में लगे नहीं देते हैं तीसरे गरम मसाले और रसेदार गम सब्जियां शरीर को बहुत अधिक पोषक तत्व देती हैं जाड़े में कभी भूलकर भी ठंडा भोजन और ठंडी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए यदि धूप उपलब्ध है तो भोजन करने के बाद 10-15 मिनट धूप अवश्य लेना चाहिए रात में आग जलाकर भोजन करने के बाद हाथ पैर सेंक कर सोना चाहिए  अन्यथा इससे खुजली दाद खाज और अन्य एलर्जी वाली बीमारियां हो जाती हैं ।

लोग सोचते हैं की दही ठंडी होती है यह बात गलत है जाड़े में दही का सेवन जमकर करना चाहिए  ‌ क्योंकि दही का प्रभाव गर्म होता है लेकिन दोपहर के पहले ही इसका सेवन करना चाहिए रात में दही का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए सलाद भी और पत्तेदार सब्जियां तथा पालक चौलाई बथुआ सरसों मेंथी चना और अन्य साग जमकर खाना चाहिए इसमें पर्याप्त विटामिन लोहा कैल्शियम मैग्नीशियम एवं विटामिन का भंडार होता है। सूखा मेवा बादाम पिस्ता काजू और तीसी और तिल से बनी चीजों को खूब खाना चाहिए ‌ नीमईया  तुलसी की दो तीन पत्तियां सुबह चबाकर अवश्य खाना चाहिए इस समय अधिक से अधिक पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है यदि गर्म पानी ना मिले तो ताजा पानी हैंडपंप का पीना चाहिए या कुएं का पीना चाहिए जेट पंप का भी ताजा पानी चला कर। पीना अच्छा रहता है सबसे खराब आरो का पानी होता है जो शरीर और हड्डियों को बेकार कर देता है।

इस समय सूखा मेवा मूंगफली का सेवन आंवला और च्यवनप्राश जैसी चीजों को खाना अमृत के समान होता है कच्चा आंवला तो अवश्य ही कम से कम एक खाना चाहिए यदि छोटा देसी वाला मिल जाए तो फिर क्या कहना ।मांसाहारी लोग इस समय अंडे का सेवन कर सकते हैं यह गर्म होता है यदि अंडा खाने के बाद दूध पीते हैं तो और भी उत्तम होता है ‌ वैसे मांसाहार कहीं मन नहीं किया गया है लेकिन शाकाहार उपलब्ध होने पर मांसाहार से परहेज ही करना चाहिए।

 एक बात और भी है कि जाड़े में ताजे पानी से नहाने की आदत डालना चाहिए गर्म पानी से नहाने पर अनेक परेशानी होती है और शरीर के प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है यदि बहुत दिनों से धूप नहीं निकली है या घना कोहरा है तभी हल्का गर्म पानी से गुनगुना करके नहाना चाहिए और नाक में सरसों का तेल अवश्य ही डालना चाहिए यह सर्दी गर्मी वर्ष हर महीने के लिए आवश्यक है इससे सर्दी जुकाम ठीक और अन्य बीमारियों से सुरक्षा मिलती है ‌ इसके साथ ही साथ एक हल्का तेल और घी का प्रयोग करके भोजन करें और बाहर का तेल और घी ना खरीदें ‌ सरसों खरीद कर उसका तेल निकालें या दूध से घी अपने घर में बनाएं ।सोते समय भूख से थोड़ा कम भोजन खाएं सुबह भरपेट भोजन और दोपहर में हल्का नाश्ता करने की आदत डालें ‌ तला भुना होना अधिक तेल मसालेदार और बासी तथा ठंडा भोजन हमेशा नुकसानदायक होता है अधिक मांस मछली भी नहीं खाना चाहिए यह दिखाना है तो घर में बनकर ही खाएं।

इस समय ठंडा पानी ठंडा पर पदार्थ कैफे नियुक्त चीज खाने से बचें बाहर का कोई भी चीज खाने से बच्चे बाहर के बने पिज़्ज़ा बर्गर तेल मसाले सड़े गले बिस्किट पाव रोटी डबल रोटी ब्रेड मक्खन लस्सी कुरकुरे धकाधक चटपटे चाऊमीन हैमबर्गर ‌ मोमोज समोसे पकोड़े नमकीन पनीर जैसी चीज बिल्कुल ना खाएं या आज सदा कर पेट खराब कर देती हैं विपरीत फल देने वाले भोजन कभी ना करें जैसे दूध के साथ मछली और मूली के साथ दूध का प्रयोग दूध के साथ खट्टी चीजों और फलों का प्रयोग कभी ना करें। बाहर की बनी चीजे गंदे ढंग से और बिना स्वास्थ्य के नियमों का पालन किया बनाई जाती हैं और ज्यादातर डायरिया हैजा कालरा इन्हीं चीजों से होता है। उसे महीने में धनिया और माघ में मूली नहीं खाना चाहिए।

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