वंदे मातरम हमारा राष्ट्रीय गीत है सभी को इसका सम्मान करना चाहिए: अनिल कुमार

दीपक श्रीवास्तव 
वंदे मातरम हमारा राष्ट्रीय गीत है सभी को इसका सम्मान करना चाहिए: अनिल कुमार 
जौनपुर ,10 दिसंबर। यूपी के जौनपुर में उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने बुधवार को खेल कूद एवं युवा कल्याण राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव के पैतृक आवास पर पहुंचकर उनके दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर शोक संवेदना व्यक्त की।

मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री अनिल कुमार ने विपक्ष द्वारा संसद में बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल किया कि ईवीएम से चुनाव कराने में क्या परेशानी है, उन्हें इसमें कोई दिक्कत नजर नहीं आती।

मंत्री ने कहा कि वह भी लंबे समय तक विपक्ष में रहे, लेकिन उन्होंने कभी बैलेट पेपर से चुनाव की मांग नहीं की, क्योंकि उन्हें ईवीएम में कोई खराबी नहीं लगती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष ऐसा इसलिए कह रहा है क्योंकि उनका आधार वोट अब एनडीए की ओर खिसक गया है। विपक्ष केवल अपने मतदाताओं को यह संदेश देना चाहता है कि उनका वोट बैंक बरकरार है, लेकिन ईवीएम में गड़बड़ी है।

अनिल कुमार ने बताया कि वह स्वयं चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और लोकसभा चुनाव भी लड़ाया है, लेकिन ईवीएम कभी हैक नहीं हुई। उन्होंने विपक्ष के इस तर्क को वोट बैंक रोकने का बेबुनियाद प्रयास बताया।

वंदे मातरम पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि यह हमारा राष्ट्रीय गीत है और सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। उन्होंने इसे देश की आजादी का नारा बताते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने आजादी के लिए शहादत दी और यह नारा भी दिया, जिसका सम्मान होना चाहिए। इसकी आलोचना किसी को नहीं करनी चाहिए।

उन्होंने मुस्लिम समुदाय द्वारा वंदे मातरम के कुछ अंशों को धर्म के खिलाफ बताने के संबंध में कहा कि उन्हें इस पर अधिक जानकारी नहीं है।
सपा सांसद प्रिया सरोज के आरोपों पर मंत्री ने कहा कि पूरा देश देशभक्ति से ओतप्रोत है। भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, देश के महापुरुषों का सम्मान करना चाहिए।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बनाई जा रही बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। बाबर भी इस देश में रहा है, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करना उचित नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर ही क्यों रखा जाना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं

एक टिप्पणी भेजें

मुख्यपृष्ठ